Parliament Session: संसद का विशेष सत्र आज से शुरू हो रहा है। 18 से 22 सितंबर तक चलने वाले इस पांच दिवसीय विशेष सत्र से पहले 17 सितंबर को नए संसद भवन के गज द्वार पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। यह नए संसद भवन पर पहला और औपचारिक ध्वजारोहण था। इससे पहले, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के संसदीय ड्यूटी समूह ने उपराष्ट्रपति धनखड़ और लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत परिवर्तन के युग का गवाह बन रहा है। दुनिया भारत की शक्ति, सामर्थ्य और योगदान को भली-भांति मानती है। ध्वजारोहण समारोह में पीयूष गोयल, प्रह्लाद जोशी और अर्जुन राम मेघवाल सहित कई केंद्रीय मंत्री और अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद नहीं थे। उन्होंने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि उन्हें निमंत्रण काफी देर से मिला।
इससे पहले सरकार ने विशेष सत्र का एजेंडा भी जारी किया था। सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में संसद के 75 साल के सफर पर चर्चा होगी। इस दौरान संविधान सभा से लेकर अब तक के संसदीय सफर पर चर्चा की जाएगी। तो सवाल उठता है कि संसद के विशेष सत्र की चर्चा क्यों की जा रही है? संसद के कितने सत्र होते हैं? विशेष सत्र क्या है? क्या पहले भी संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है? इस बार क्या होगा खास?
क्यों हो रही है संसद के विशेष सत्र की चर्चा?
31 अगस्त को केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की थी। केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्विटर पर एक पोस्ट में यह बात कही। उन्होंने कहा, संसद के विशेष सत्र में पांच बैठकें होंगी। इसके बाद वन नेशन वन इलेक्शन, महिला आरक्षण, समान नागरिक संहिता समेत कई अहम बिल आने की अटकलें लगाई गईं।
हालांकि, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक बयान में कहा कि उन्हें अमृत काल सत्र के दौरान संसद में सार्थक चर्चा और बहस की उम्मीद है। 18 से 22 सितंबर तक चलने वाले इस सत्र के पहले दिन के अलावा बाकी दिन की गतिविधियां नए संसद भवन में होंगी। नए भवन में गणेश चतुर्थी के दिन यानी 19 सितंबर से गतिविधियां शुरू हो जाएंगी।
कितने सत्र होते हैं संसद के
आम तौर पर एक वर्ष में लोकसभा के तीन सत्र होते हैं। संसद का बजट सत्र साल में फरवरी से मई तक चलता है। इस अवधि के दौरान बजट को संसद में विचार, मतदान और अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाता है। विभाग-संबंधित समितियाँ मंत्रालयों और विभागों की अनुदान मांगों पर विचार करती हैं और फिर अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपती हैं। दूसरा वर्षा ऋतु में जुलाई से अगस्त के बीच होता है। वर्ष का अंत नवंबर और दिसंबर के बीच आयोजित शीतकालीन सत्र के साथ होता है।
विशेष सत्र क्या है?
भारत के संविधान में संसद के विशेष सत्र शब्द का कोई उल्लेख नहीं है। हालाँकि, सरकार द्वारा अनुच्छेद 85(1) के प्रावधानों के अनुसार विशेष सत्र बुलाए जाते हैं। शेष सत्र भी अनुच्छेद 85(1) के तहत बुलाए जाते हैं। पीठासीन अधिकारी विशेष सत्र के दौरान कार्यवाही को सीमित कर सकता है और प्रश्न और उत्तर जैसी प्रक्रियाओं को छोड़ा जा सकता है।
यदि आवश्यक हो तो देश के राष्ट्रपति को संसद का विशेष सत्र बुलाने का अधिकार है। सत्र बुलाने का निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाता है और संसद सदस्यों को राष्ट्रपति के नाम पर बुलाया जाता है। इस प्रावधान का उपयोग करते हुए, केंद्र सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश करती है और उसकी मंजूरी लेती है।
अब तक संसद के कितने विशेष सत्र बुलाये गये हैं?
ऐतिहासिक रूप से, विशेष सत्र आमतौर पर महत्वपूर्ण विधायी या राष्ट्रीय घटनाओं के संबंध बुलाए जाते है। संसदीय इतिहास में संसद के सात विशेष सत्र बुलाए जा चुके हैं। सात में से तीन सत्र तब बुलाए गए जब देश ऐतिहासिक उपलब्धियों का जश्न मना रहा था। राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए दो बार विशेष स्तर का आयोजन किया गया। 1977 में तमिलनाडु और नागालैंड में विशेष सत्र आयोजित किए गए और 1991 में हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए।
बाद में विश्वास मत के लिए 2008 में एक विशेष सत्र बुलाया गया। इस दौरान मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार का नेतृत्व किया था। इसी बीच भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसके बाद 60 सांसदों समेत चार वामपंथी दलों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इससे यूपीए सरकार के लिए विश्वास मत जरूरी हो गया। यह विश्वास मत सरकार के समर्थन में आया और यूपीए सरकार बनी रही।
मोदी सरकार में कितने विशेष सत्र बुलाए गए?
मोदी सरकार के साढ़े नौ साल से अधिक के कार्यकाल में सिर्फ एक बार विशेष सत्र बुलाया गया। जीएसटी लागू करने के लिए सरकार ने 30 जून 2017 को संसद के सेंट्रल हॉल में इस विशेष सत्र का आयोजन किया था। 18 से 22 सितंबर तक होने वाला विशेष सत्र मोदी सरकार का दूसरा सत्र होगा।
सूचीबद्ध चार विधेयकों में अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2023 और प्रेस और पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 शामिल हैं, जो राज्यसभा द्वारा पारित हो चुके हैं और लोकसभा में लंबित हैं। इसके साथ ही डाकघर विधेयक 2023 और मुख्य चुनाव आयुक्त, अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्तें विधेयक 2023 सूचीबद्ध हैं।
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