झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को झारखंड उच्च न्यायालय को बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन्हें भेजा गया समन अनुचित था। मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की पीठ को हेमंत सोरेन के वकील पी चिदंबरम ने बताया कि यह स्पष्ट नहीं है कि सोरेन को भेजा गया समन गवाह के रूप में भेजा गया था या आरोपी के रूप में।
सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के बाद हेमंत सोरेन हाई कोर्ट पहुंचे
पी चिदंबरम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल हुए। अब हाई कोर्ट 13 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करेगा। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को 14 अगस्त को रांची स्थित ईडी कार्यालय में पेश होने के लिए समन जारी किया था। समन में सोरेन को पीएमएलए एक्ट के तहत अपना बयान दर्ज कराने को कहा गया था। लेकिन हेमंत सोरेन समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गये। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट जाने की इजाजत दे दी। इसके बाद हेमंत सोरेन हाई कोर्ट पहुंचे।
रक्षा मंत्रालय के जमीन घोटाले में भी पेश नहीं हुए
23 सितंबर को हेमंत सोरेन ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन 6 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने सोरेन की याचिका में कुछ त्रुटियां बताईं और सोरेन के वकील को उन्हें ठीक करने का निर्देश दिया। सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय के समन पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी। हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया। हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ बदले की भावना से यह कार्रवाई की जा रही है। इससे पहले ईडी ने कथित रक्षा भूमि घोटाले में सोरेन को समन जारी किया था, लेकिन तब भी सोरेन ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे।