इसरो के पीएसएलवी रॉकेट ने श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इसे आज 11:50 बजे भेजा गया। मिशन के दौरान, श्रीहरिकोटा में ग्रैंडस्टैंड में भीड़ ने “भारत माता की जय” के नारे लगाए। आदित्य अलवान जल्द ही निर्धारित कक्षा में पहुंचेंगे।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। ISRO के आदित्य-एल1 सौर मिशन आज सुबह 11:50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष स्टेशन से लॉन्च किया गया। अब लॉन्च के ठीक 125 दिन बाद यह L1 पॉइंट पर पहुंच जाएगा। एक बार इस बिंदु पर पहुंचने के बाद, आदित्य-एल1 बहुत महत्वपूर्ण डेटा भेजना शुरू कर देगा।
आदित्य-एल1 को क्यों भेजा गया
इसरो का सूर्य मिशन सूर्य के कई रहस्यों से पर्दा उठाने का काम करेगा। जिस विशेष शोध के लिए आदित्य-एल1 को भेजा गया, वह सबसे पहले सौर तूफानों के कारण की पहचान करेगा, साथ ही सौर तरंगों के प्रभाव और पृथ्वी के वायुमंडल पर उनके प्रभाव की भी पहचान करेगा।
लॉन्च होने के बाद, आदित्य-एल1 1.5 मिलियन किलोमीटर की यात्रा करेगा। यह चंद्रमा से लगभग चार गुना दूरी है। प्रक्षेपण के लिए पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट का उपयोग किया गया है। इनका नंबर है PSLV-C57. आदित्य-एल1 लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में अपनी यात्रा शुरू करेगा। उसके बाद, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को छोड़ देगा। इसके बाद इसे हेलो ऑर्बिट में लॉन्च किया जाएगा।
बिंदु L1 सूर्य और पृथ्वी के बीच है। लेकिन सूर्य से पृथ्वी की दूरी की तुलना में यह केवल 1 प्रतिशत है। आदित्य एल-1 को यात्रा में 109 दिन लगेंगे।
आदित्य-एल1 में क्या है खास?
आदित्य-एल1 भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित मिशन है। सबसे महत्वपूर्ण पेलोड विजिबल रेडिएशन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) है। यह भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान द्वारा निर्मित है। इनमें छह पेलोड इसरो और अन्य एजेंसियों द्वारा बनाए गए है। आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच एल1 कक्षा में रखा जाएगा। एल1 सौर और पृथ्वी प्रणालियों के बीच पहला लैग्रेंजियन बिंदु है। इसलिए इसका नाम में L1 रखा गया है। L1 वास्तव में अंतरिक्ष का एक पार्किंग है। जहां वर्त्तमान में कई उपग्रह तैनात हैं। आदित्य-एल1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर अवस्थित इसी प्वाइंट से सूरज का अध्ययन करेगा। यह सूर्य के करीब नहीं जाएगा।
आदित्य-एल1, 16 दिनों तक पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाएगा। जिसमें पांच ऑर्बिट मैन्यूवर होंगे। ताकि आदित्य-एल1 को सही गति मिल सके। इसके उपरांत आदित्य-L1 का ट्रांस-लैरेंजियन 1 इंसर्शन किया जायेगा। यहां से उसकी 109 दिन की यात्रा प्रारंभ होगी। आदित्य L1 पर पहुँचते ही एक ऑर्बिट मैन्यूवर करेगा। जिससे L1 प्वाइंट के चारों तरफ चक्कर लगाने में सक्षम हो सके।
आदित्य-L1 में लगे 6 पैलोड्स क्या-क्या करेंगे ?
सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT): यह सूरज के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर का अनुमान लगाएगा।
सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS): यह सूरज से निकलने वाली सॉफ्ट एक्स-रे किरणों का अध्ययन करेगा।
हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS): यह एक हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है। यह हार्ड एक्स-रे किरणों का अध्ययन करेगा।
आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX): यह सूरज की हवाओं, प्रोटोन्स और भारी आयन के दिशाओं का अध्ययन करेगा।
प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA): यह सूरज की हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स तथा भारी आयन की दिशाओं का अध्ययन करेगा। .
एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर्स: यह सूरज के चारों तरफ की चुम्बकीय क्षेत्र का अध्ययन करेगा।
आदित्य-L1 के विषय में अधिक जानकारी आप से देख सकते है
इसरों की वेबसाइट:- isro.gov.in
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